Wednesday, October 9, 2013

विचारों का पुनार्गमन

कुछ  मंजिले दूर सही ,
कुछ चाहते अधूरी ही सही ,
कुछ सपने बस आँखों में रहे 
दिल के अरमान दिल में ही सही

ये दुनिया कभी मेरी थी ही नहीं ,
चाहत तो केवल एक हँसी की थी 
उसकी खोज में हम अब भी है 
जीवन एक संघर्ष आज भी तो है । 

बस होठों की मुस्कान दिल से नहीं 
लबों की हँसी में भी वो बात नहीं 
लेकिन जीना है बस इसी के लिए 
हाँ , ये अरमान आज भी वही ..

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